रावणकृतशिवताण्डवस्तोत्रम्

जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थले गलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम् डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं चकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् .. १..   जिन शिव जी की सघन जटारूप वन से प्रवाहित हो गंगा जी की धारायं उनके कंठ को प्रक्षालित क होती हैं, जिनके गले में बडे एवं लम्बे सर्पों की मालाएं लटक रहीं हैं, तथा जो शिव जी डम-डम डमरू बजा कर…

शिव शून्य हैं

(English translation of this artcle is not available as The Dark Shiva ) प्रायः हम प्रकाश को सत्य, ज्ञान , शुभ, पून्य तथा सात्विक शक्तियों का द्योतक समझते हैं तथा अंधकार की तुलना अज्ञान, असत्य जैसे अवगुणों से करते हैं| फिर शिव "रात्रि" क्यों? क्यों शिव को अंधकार पसंद है? क्यों…