Vedasara Shivastva
Created by shri Shankaracharya, the great teacher, this stotrram presents Lord Shiva as the ultimate creator, protector and destroyer of the universe. This magnificent work praising shiva is worth collecting and reciting. (more…)
वेदसार शिवस्तव:
आदिगुरू श्री शंकराचार्य द्वारा रचित यह शिवस्तव वेद वर्णित शिव की स्तुति प्रस्तुत करता है। शिव के रचयिता, पालनकर्ता एव विलयकर्ता विश्वरूप का वर्णन करता यह स्तुति संकलन करने योग्य है। (more…)
Shiva Manas Puja
Shiva Manas Puja, written by Adi guru Shankaracharya is a very special hymn, which not only praises Shiva, but also depicts the true flavour of Shiva worship. Shiva needs devotion and not demonstration. In this stottram we offer to the great Lord various offering not in physical form but in…
शिवमानसपूजा
आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रचित शिव मानस पूजा शिव की एक अनुठी स्तुति है। यह स्तुति शिव भक्ति मार्ग के अतयंत सरल पर साथ ही एक अतयन्त गुढ रहस्य को समझाता है। शिव सिर्फ भक्ति द्वारा प्रापत्य हैं, आडम्बर ह्की कोई आवश्यकता नहीं है। इस स्तुति में हम प्रभू को…
Lingastakam
ब्रह्ममुरारिसुरार्चित लिगं निर्मलभाषितशोभित लिंग | जन्मजदुःखविनाशक लिंग तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥१ I Bow before that Sadashiva Linga which is adored by Brahma, Vishnu and other Gods; which is praised by holy and pure speeches. and which destroys (Frees us from) the cycle of Birth and Death. (more…)
लिंगाष्टकम
ब्रह्ममुरारिसुरार्चित लिगं निर्मलभाषितशोभित लिंग | जन्मजदुःखविनाशक लिंग तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥१ मैं उन सदाशिव लिंग को प्रणाम करता हूँ जिनकी ब्रह्मा, विष्णु एवं देवताओं द्वारा अर्चना की जाति है, जो सदैव निर्मल भाषाओं द्वारा पुजित हैं तथा जो लिंग जन्म-मृत्यू के चक्र का विनाश करता है (मोक्ष प्रदान करता है) (more…)
रूद्राष्टक कथा
श्री रामचरितमानस के उत्तर काण्ड में वर्णित इस रूद्राष्टक की कथा कुछ इस प्रकार है। कागभुशुण्डि परम शिव भक्त थे। वो शिव को परमेश्वर एवं अन्य देवों से अतुल्य जानते थे। उनके गुरू श्री लोमेश शिव के साथ-साथ राम में भी असिम श्रद्धा रखते थे। इस बात के कारण कागभुशुण्डि का अपने…
रूद्राष्ट्क
परम शिव भक्त कागभुशुण्डि ने जब अपने गुरू की अवहेलना की तो वे शिव के क्रोध-भाजन हुए। अपने शिष्य के लिए क्षमादान की अपेक्षा रखने वाले सहृदय गुरू ने रूद्राष्टक की रचना की तथा महादेव को प्रसन्न किया। सम्पुर्ण कथा रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में वर्णित है। (more…)
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका…
इस संपूर्ण जड एवं चेतन संसार के कण कण में ईश्वर व्याप्त हैं| हिन्दू धर्म ने इस मूल तत्व को आदि काल में ही जान लिया था| वेद एवं पूराण ३३ करोड देवी देवतों का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं जो कि मानव, पशू, नरपशु, ग्रह, नक्षत्र, वनस्पति तथा जलाशय इत्यादि…
शिव
अनादि, अनंत, देवाधिदेव, महादेव शिव परंब्रह्म हैं| सहस्र नामों से जाने जाने वाले त्र्यम्बकम् शिव साकार, निराकार, ॐकार और लिंगाकार रूप में देवताओं, दानवों तथा मानवों द्वारा पुजित हैं| महादेव रहस्यों के भंडार हैं| बड़े-बड़े ॠषि-महर्षि, ज्ञानी, साधक, भक्त और यहाँ तक कि भगवान भी उनके संम्पूर्ण रहस्य नहीं जान…